Friday 21 February 2014

महाशिवरात्रि व्रत - 2014



 महाशिवरात्रि व्रत - 2014

इस वर्ष महाशिवरात्रि का पावन पर्व 27 फरवरी 2014 को मनाया जायेगा , इस दिन शिव लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इस कारण यह महाशिवरात्रि मानी जाती है। शिव पुराण में कहा गया है कि इस व्रत को वर्ण और वर्णेतर सभी समान रूप से कर सकते हैं। महाशिवरात्रि व्रत निर्णय शिव लिंग के प्रकट होने के समयानुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है तथा अन्य मासों की कृष्ण चतुर्दशी शिवरात्रि के नाम से। सिद्धांत रूप में सूर्योदय से सूर्योदय पर्यंत रहने वाली चतुर्दशी शुद्धा निशीथ (अर्धरात्रि) व्यापिनी ग्राह्य होती है। यदि यह शिवरात्रि त्रिस्पृशा (त्रयोदशी-चतुर्दशी- अमावस्या के स्पर्श की) हो, तो परमोत्तम मानी गयी है। मासिक शिवरात्रि में, कुछ विद्वानों के मतानुसार, त्रयोदशी विद्धा बहुत रात तक रहने वाली चतुर्दशी ली जाती है। इसमें जया त्रयोदशी का योग अधिक फलदायी होता है। स्मृत्यंतरेऽपि प्रदोषव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिः चतुर्दशी। रात्रौ जागरणं यस्मांतस्मांतां समुपोषयेत्।।
अत्र प्रदोषो रात्रिः उत्तरार्धे तस्यां हेतुत्वोक्तेः। स्मृत्यंतर में भी कहा गया है, कि शिवरात्रि में चतुर्दशी प्रदोषव्यापिनी ग्रहण करें। रात्रि में जागरण करें। अतः उसमें उपवास करें। यहां पर प्रदोष शब्द से मतलब रात्रि का ग्रहण है। उत्तरार्ध में उसका कारण बताया गया है: कामकेऽपि- आदित्यास्तमये काले अस्ति चेद्या चतुर्दशी। तद्रात्रिः शिवरात्रिः स्यात्सा भवेदंतमोत्तमा।। कामिक में भी कहा गया है कि सूर्य के अस्त समय में यदि चतुर्दशी हो, तो उस रात्रि को शिवरात्रि कहते हैं। वह उत्तमोत्तम होती है। आधी रात के पहले और आधी रात के बाद जहां चतुर्दशी युक्त हो, उसी तिथि में ही व्रती शिवरात्रि व्रत करें। आधी रात के पहले और आधी रात के बाद यदि चतुर्दशी युक्त न हो, तो व्रत को न करें, क्योंकि व्रत करने से आयु, ऐश्वर्य की हानि होती है।
प्रमुख ज्‍योर्तिलिंग बारह स्‍थानों पर बारह ज्‍योर्तिलिंग स्‍थापित हैं। जानिए शिव के 12 ज्योतिर्लिंग 1. सोमनाथ यह शिवलिंग गुजरात के काठियावाड़ में स्थापित है। 2. श्री शैल मल्लिकार्जुन मद्रास में कृष्णा नदी के किनारे पर्वत पर स्थातिप है श्री शैल मल्लिकार्जुन शिवलिंग। 3. महाकाल उज्जैन के अवंति नगर में स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग, जहां शिवजी ने दैत्यों का नाश किया था। 4. ओंकारेश्वर ममलेश्वर मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश होकर वरदाने देने हुए यहां प्रकट हुए थे शिवजी। जहां ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित हो गया। 5. नागेश्वर गुजरात के द्वारकाधाम के निकट स्थापित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग। 6. बैजनाथ बिहार के बैद्यनाथ धाम में स्थापित शिवलिंग। 7. भीमशंकर महाराष्ट्र की भीमा नदी के किनारे स्थापित भीमशंकर ज्योतिर्लिंग। 8. त्र्यंम्बकेश्वर नासिक (महाराष्ट्र) से 25 किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में स्थापित ज्योतिर्लिंग। 9. घुमेश्वर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफा के समीप वेसल गांव में स्थापित घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग। 10. केदारनाथ हिमालय का दुर्गम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग। हरिद्वार से 150 पर मिल दूरी पर स्थित है। 11. विश्वनाथ बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। 12. रामेश्वरम्‌ त्रिचनापल्ली (मद्रास) समुद्र तट पर भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग