Monday 12 March 2012

हम जानते हैं कि आलस्य हमारा शत्रु है फिर भी हम उसे परास्त क्यों नहीं कर पाते हैं ?


शंका समाधान
जय शिव
हम जानते हैं कि आलस्य हमारा शत्रु है फिर भी हम उसे परास्त क्यों नहीं कर पाते हैं ? -- 
 
उत्तर :

1.
नमक पानी और आकाश तत्त्व का उपाय करें |
यह उपाय कैसे करना है, वह संक्षेपमें बताता हूँ -
नमक पानीका उपाय नियमित रूपसे करनेसे मन एवं बुद्धि पर छाया काला आवरण नष्ट हो जाता है, और मन एकाग्र और शांत रहनेमें सहायता मिलती है | नमक पानीका उपाय कैसे कर सकते हैं, यह भी समझ लेते हैं | आधी बाल्टी अपनी सुविधानुसार, या मौसम अनुसार, गरम अथवा ठन्डे पानीमें, एक चम्मच मोटा या खड़ा नमक डालें और उसमें एक चम्मच गौमूत्र डालें, और अपने दोनों पैर उसमे डालकर पंद्रह मिनट कुर्सी पर बैठें, और साथ श्री गुरुदेव दत्तका जप करें, और पंद्रह मिनटके पश्चात पानीसे पैर निकाल कर पानी फ़ेंक दें, और स्वच्छ जलसे पैर धो लें | यदि सुबह या शाममें धूप हलकी हो, आकाश नीला हो, तो आकाश और सूर्यके नीचे नमक पानीका उपाय करनेपर उसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है | मात्र उपाय करनेसे पूर्व प्रार्थना करें कि आकाश, सूर्य, नमक, जल और गौमूत्र में विद्यमान देवत्व से मेरे शरीर, मन एवं बुद्धिपर छाया काला आवरण नष्ट हो |

2.
घर में नियमित वास्तु शुद्धि करें |
घरकी इस प्रकारसे वास्तु शुद्धि करें --
१. घरमें तुलसीके पौधे लगायें;
२. घर एवं आसपासके परिसरको स्वच्छ रखें;
३. घरमें नियमित गौ मूत्रका छिड़काव् करें;
,
४. घरके अंदर सप्ताह में दो दिन नीम पत्तीकी धूनी जलाएं;
५. घर (दीपोंसे) प्रज्ज्वलित कर धुना, लोबान एवं गूगुल जलाएं;
७. संतोंके भजन, स्त्रोत्र पठन या सात्त्विक नामजपकी ध्वनि चक्रिका (C.D) चलायें;
८. घरमें नामजप करें;
९. घरमें कलह-क्लेश टालें, वास्तु देवता तथास्तुकहते रहते हैं अतः क्लेशसे कलह और बढ़ता है, और धनका नाश होता है |
१० घरमें सत्संग प्रवचनका आयोजन करें | अतिरिक्त स्थान घरमें हो, तो धर्म-कार्य हेतु या साप्ताहिक सत्संग हेतु, वह स्थान किसी संत या गुरुके कार्य हेतु अर्पण करें |
११. संतोंके चरण घरमें पड़नेसे, घरकी वास्तु १०% तक शुद्ध हो जाती है अतः संतोके आगमन हेतु अपनी अपनी भक्ति बढ़ाएं |
१२ प्रसन्न एवं संतुष्ट रहें, घरके सदस्योंके मात्र प्रसन्नचित्त रहनेसे घरकी ३०% शुद्धि हो जाती है|
3.
अच्छी तरह से नाम जप करें
4.
रात्री में सोने से पूर्व पंद्रह मिनट ॐ नमः शिवायका जप कर सोएँ
5.
कम से कम आधे घंटे बैठकर श्रीगुरुदेव दत्त का जप करें
6.
काले रंग के वस्त्र का त्याग करें |
7.
आपके मन एवं बुद्धि पर अत्यधिक आवरण है ऊपर बताए हुए आध्यात्मिक प्रक्रिया से आवरण नष्ट होगा
8.
साथ ही एक अभ्यास पुस्तिका में 100 ऐसे प्रसंग लिखे जिसे करने में आपको आलस आता है | जैसे
अ. स्नान के पश्चात धुले कपड़े सूखने हेतु नहीं फैलाये
आ सुबह निर्धारित समय पर नहीं उठे
इ सैर के लिए नहीं गए
ई कार्यालय में फ़ाइल व्यवस्थित नहीं रखे
इस प्रकार से किन किन प्रसंगों में आलस्य यह दोष उभर कर आता है यह लिखें
9.
प्रतिदिन कितने प्रसंगों में आलस्य किया यह लिखें और उसी स्थान पर योग्य कृति क्या होनी चाहिए यह भी लिखें जैसे स्नान के पश्चात भींगे कपड़े तुरंत धोने डालेंगे , सुबह पूर्व निर्धारित सामी पर उठेंगे , सैर के लिए जाने हेतु आलस्य करना टालेंगे , कार्यालय में फ़ाइल व्यवस्थित रखेंगे
10.
रात्री में नींद जब आने लगे तब अफेन मन को दस बार स्वयंसूचना दें जैसेजब जब मैं सुबह उठने में आलस्य करूंगा तब तब मुझे अपने दोष का भान होगा और मैं तुरंत उठ जाऊंगा “ | ध्यान में रखें अपने मन को अयोग्य स्वयंसूचना कभी भी न दें अन्यथा उसका विरप्रीत परिणाम भोगन पड़ेगा |
11.
जिन जिन प्रसंगों में आलस्य होता है उन्हे उसी क्षण तत्परता के साथ करने का प्रयास करें , पंद्रह दिन के पश्चात अपने इस दोष का ब्योरा लें कोई सुधार न आने पर अपने दोष को दूर करने हेतु मन को दंडित करें और इस हेतु कोई प्रायश्चित लें जिससे की हमारे मन को अपने इस दोष का डर लगे और उस प्रकार की कृति हमसे न हो |
इस प्रकार शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर प्रयास आरंभ करें !

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